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सिविल अस्पताल तराना की व्यवस्थाएं पूरी तरह चौपट, डॉक्टर ललित जांगिड़ की हठधर्मिता से मरीज हो रहे परेशान

( डॉक्टर जांगिड़ अस्पताल में कम और शासकीय क्वार्टर में पैसे लेकर देख रहे मरीज़ो को, कमीशन के चक्कर मे हजारों रुपए की जांच लिख रहे मरीजों को )

तराना :- “सैंया भए कोतवाल तो फिर डर काहे का” इन दिनों शासकीय अस्पताल तराना में यह कहावत बेहद चरितार्थ हो रही है क्योंकि वर्तमान में शासकीय अस्पताल तराना की सुध लेने वाला कोई नही ओर इसी के चलते यहां पर पदस्थ डॉक्टर और स्टॉफ अपनी मनमानी में लगे हुए और सबसे ज्यादा अगर कोई डॉक्टर सरकारी नौकरी का गलत दुरुपयोग कर रहैं है तो वह है डॉ. ललित जांगीड़ क्योंकी डॉक्टर जांगीड़ साहब पैसे तो लेते हैं सरकार से नौकरी करने के और मरीजों को देखते हैं उनके सरकारी आवास पर मरीजों से पैसे लेकर दरअसल डॉ ललित जांगीड़ अपने कर्तव्य को ताख में रखते हुए वर्तमान में अपनी जेब भरने ओर मरीजों के जेब खाली करने में लगे हुए है डॉ. जांगीड़ की ड्यूटी चाहे दिन की शिफ़्ट में लगे या रात की शिफ़्ट में ये महोदय ज्यादातर समय अपने सरकारी क्वाटर में बिताते है और बिताएं भी क्यों ना क्योंकि इनकी जेब तो इनके सरकारी क्वाटर पर मरीजों को देखने से भराती है सरकार तो यूं भी हर महीने हजारों रुपए इनके खाते में वैसे भी ट्रांसफर कर ही देती है फिर चाहे ये श्रीमान अपनी ड्यूटी ईमानदारी से करें या न करें क्या फ़र्क पड़ता है

( रात्री कालीन ड्यूटी अस्पताल में न करते हुए सरकारी क्वाटर में आराम करते हैं डॉ. जांगीड़ )

वैसे तो डॉ. ललित जांगीड़ द्वारा मरीजों से दुर्व्यवहार ओर पैसे लेकर इलाज करने के कई मामले है लेकिन ताजा मामला रविवार-सोमवार देर रात्री का है जब इन डॉ. महोदय की रात्रि कालीन ड्यूटी अस्पताल में लगी हुई थी और इनका कर्तव्य अपने कार्यस्थल यानी अस्पताल के इमरजेंसी रुम में रहकर अपनी ड्यूटी को अंजाम देना था लेकिन इन महोदय के सर पर ना जाने किस आका का हाथ है तभी तो ये डॉक्टर साहब अपने सरकारी क्वाटर पर आराम फ़रमाने चले गए और आराम भी ऐसा की करीब 45 मिनिट तक इनके क्वाटर का दरवाजा खटखटाने के बाद भी इनकी कानों में जूं तक नही रेंगी दरअसल रविवार-सोमवार की दरमियान रात्रि क़रीब 04 बजे के लगभग तराना नगर के वार्ड क्रमांक 04 स्थित इमलीबाड़ी निवासी पत्रकार अरशद जागीरदार अपनी धर्मपत्नी को पेट मे दर्द के चलते सरकारी अस्पताल लेकर आए थे जहां उन्होंने इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी पर मौजूद स्टॉफ नर्स से डॉक्टर के बारे में पूछा तो नर्स ने रात्री कालीन ड्यूटी डॉ. ललित जांगीड़ की होना बताया जब नर्स से डॉक्टर जांगीड़ को कार्यस्थल पर बुलाने जी बात कही तो नर्स ने ये कहकर डॉक्टर जांगीड़ को नही बुलाया की डॉ. साहब को उनकी क्वाटर पर बता दीजिए डॉ. साहब यहां नही आएंगे इतनी रात होने के बाजवूद पत्रकार अरशद जागीरदार अपनी धर्मपत्नी को लेकर डॉ. जांगीड़ के सरकारी क्वाटर पर गए तो डॉक्टर साहब ने क़रीब 45 मिनिट तक उनका दरवाजा खटखटाने के ओर लंबे इंतजार के बाद कहीं जाकर दरवाजा खोला ओर उसके बाद भी बिना मरीज़ को चेक किए मौखिक ही पूछकर दवाई लिखने की इतिश्री कर दी थकहार के पत्रकार अरशद जागीरदार अपनी धर्मपत्नी को लेकर रात्रि में फिर अपने निवास चले गए और अलसुबह प्रायवेट अस्पताल में अपनी धर्मपत्नी का इलाज कराया अब अगर ड्यूटी पर पदस्थ डॉ ललित जांगीड़ ऐसे ही मरीजों को परेशान करते रहे तो गरीब परिवार के लोग अपने मरीजों का इलाज करवाने कहां जांएगे ये सोचने वाली बात होगी

( डॉ. जांगीड़ कमीशन के चक्कर मे मरीजों से करवा रहे है प्रायवेट लेब पर जाँच )


एक तरफ तो डॉ. जांगीड़ मरीजों को सरकारी अस्पताल में न देखते हुए अपने सरकारी क्वाटर पर बुलाकर उनका इलाज कर है और फ़ीस के तौर पर 300 से 400 रुपए प्रत्येक मरीज़ से ले रहे है लेकिन मात्र फ़ीस लेने से डॉ. साहब की जेब नही भरा रही है तभी तो ये डॉक्टर साहब अपने मोटे कमीशन के चक्कर में नगर की एक प्राइवेट लेब आंशि लेब पर मरीजों को उनकी जांच करवाने के लिए भेज रहे है जहां ये लेब वाले महाशय इन मरीजों से जांच की एवज में हज़ारों रुपए छीन रहे है और छीने भी क्यों ना इनको डॉक्टर साहब का कमीशन जो देना पड़ता है आपको बता दें कि सरकारी अस्पताल में अत्याधुनिक मशीनों की सुविधा से लेस लेबोरेटरी है जहां हर तरह को जांच सरकार द्वारा बिल्कुल फ्री की जाती है उसके बावजूद ये डॉक्टर महोदय सिर्फ अपने कमीशन के चक्कर मे बेचारे मरीजों को प्रायवेट लेब पर भेज रहे है ओर बेचारे मरीजों को भी मजबूरी में अपना इलाज़ कराने के चक्कर मे डॉक्टर साहब द्वारा बताई गई लैब पर अपनी जांच करवानी पड़ रही है खेर अब देखना होगा कि कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि एवं सरकार में बैठे नुमाइंदे इन डॉक्टर साहब पर कोई एक्शन लेते है या नही या डॉक्टर साहब ऐसे ही गरीब मरीज़ो की जेब पर डाका डालते रहेंगे

….इनका कहना है….

1 :- में रविवार को रात क़रीब 4:00 बजे अचानक मेरी बीवी की तबीयत खराब हो जाने के कारण उन्हें तराना के सिविल हॉस्पिटल दिखाने ले गया जहां पर रात्रीकालीन ड्यूटी होने के बाद भी डॉक्टर ललित जांगिड़ अपने सरकारी क्वाटर पर गहरी नींद निकाल रहे थे सिस्टर से निवेदन करने के बाद मुझे सिस्टर ने बताया कि रात में डॉक्टर साहब इमरजेंसी वार्ड में नही बल्कि उनके सरकारी क्वाटर पर ही देखते हैं पेशेंट को जब में डॉक्टर साहब के सरकारी क्वाटर पर लेकर पहुंचा तो लगातार 30 से 45 मिनट तक दरवाजा और बेल बजाने के बाद भी डॉक्टर साहब नींद से नही जागे अंत में ड्यूटी पर मौजूद सिस्टर द्वारा फोन लगाने के बाद डॉक्टर साहब कि नींद खुली और डॉक्टर साहब द्वारा मेरी धर्मपत्नी को अपने गेट के बाहर से ही देखा गया मेरे द्वारा बोले जाने पर डॉक्टर साहब ने गेट खोला और पेशेंट को ठीक तरीके से देखा जब समाज के चौथे स्तंभ के साथ रात को 4:00 बजे यह हाल है तो इन डॉक्टर महोदय द्वारा आम मरीजों के साथ किस तरह व्यवहार किया जाता होगा ओर किस तरह उनका इलाज होता होगा
( अरशद जागीरदार, पत्रकार )

2 :- तराना हॉस्पिटल में किसी भी प्रकार का इलाज हो उसमें जांच आवश्यक करने का लिखा जाता हैं और सबसे महत्वपूर्ण एक ही निजी लेब पर यह करना जरूरी होता हैं जिन जांचों अन्य लेब या उज्जैन में वाजिब फीस होती है यहाँ इसी लेब मैं जांचों की फीस बहुत ज्यादा होती हैं एक आम नागरिक से इसी तरह का बर्ताव फिलहाल तराना हॉस्पिटल में पदस्थ डॉक्टर ललित जांगीड़ द्वारा किया जा रहा है प्रशासन से अनुरोध हैं इसको संज्ञान में लेकर सम्बंधित डॉक्टर के खिलाफ उचित कार्यवाही कर मरीज व परिजनों को राहत प्रदान करें
( दीपेश परमार )

3 :- तराना में शासकीय हॉस्पिटल की हालत यह है कि अगर एक गरीब परिवार का कोई सदस्य वहां छोटी सी बीमारी के लिए भी जाता है तो बिना जांच करे उसे उज्जैन का कह दिया जाता है हॉस्पिटल में जाने पर डॉक्टर ललीत जांगीड़ उपलब्ध नहीं रहते व हॉस्पिटल स्टाफ मरीज कों उनके प्राइवेट क्लीनिक पर भेज देते हैं जहां इच्छा अनुसार डॉ. जांगीड़ द्वारा फीस वसूलने का कार्य किया जाता है डॉक्टर द्वारा मरीज के परिजनों से अभद्रता करना तो आम बात हो गई है इतना होने के बाद भी उच्च अधिकारियों इस ओर कोई ध्यान नहीं है शासकीय हॉस्पिटल तराना में पदस्थ डॉ. ललित जांगीड़ पर उचीत कार्यवाही करते हुए अस्पताल की व्यवस्था में सुधार होना चाहिए जिससे कीसी को परेशान ना होना पड़े
( प्रदीप वाजपेयी, छात्र नेता )

4 :- डॉ जांगीड़ द्वारा रात्री कालीन सेवा के दौरान इमरजेंसी वार्ड में ना रहते हुए अपने सरकारी क्वाटर पर आराम करने की बात की जानकारी आपके द्वारा प्राप्त हुई है आप लिखित में एक आवेदन दे दिजिए आपकी शिकायत सही पाए जाने पर सम्बंधित डॉक्टर के खिलाफ़ उचित कार्यवाही की जावेगी
( डॉ. प्रमोद अर्गल, बीएमओ तराना)

तराना से लखन भाटी की रिपोर्ट



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